
फिर तुझे कोई और गवारा कैसे हुआ,
मुझे तो नहीं हुआ तुझे ये इश्क़ दोबारा कैसे हुआ।

अपनों से ही सीखा है,
कोई अपना नहीं होता!

लफ्ज तो खामोश हो गए तुमसे बात करते-करते,
अब आंसुओं को जिद है तुमसे बात करने की …! 👫

क्या बताऊं उसकी बाते कितनी मीठी है,
सामने बैठ कर फीकी चाय पीता रहता हूं….

gulzar nazm
तोड़ेंगे गुरूर इश्क़ का इस कदर सुधर जाएंगे,
खड़ी रहेगी मोहब्बत रास्ते में हम सामने से गुजर जायेंगे!

मिजाज में थोड़ी सख्ती जरूरी है जनाब,
लोग पी जाते अगर समुंदर खारा ना होता!